म्हांरे कोनी टोपी, बांरे कोनी झग्गा!
२ जीमण अर झगड़ो पराये घर ही चोखो लागे!
३ घर री खांड किरकिरी लागे ,
गुड़ चोरी रो मीठो!
४ जीम्यां पाच्छै छूटे पाँवणा
मरयां छूटे ब्याज!
५ कोई मन मन में बले
कोई गुलगुला तले!
रतन जैन , पड़िहारा
वंस देयर वाज ऐ कागला!
वंस देयर वाज ऐ कागला
सित्टिंग ओन ऐ डागला
वन डे का है किस्सा
ही वाज वैरी तीसा!
ही सा ऐ मटका
सम कांकरा पटका!
ऐ लिटिल वाटर गटका
देन फ़टाफ़ट सटका!
रतन जैन
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