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Friday, February 19, 2010

आज री बात

१ इस्या ई महे अर इस्या ई म्हारा सगा,
म्हांरे कोनी टोपी, बांरे कोनी झग्गा!
जीमण अर झगड़ो पराये घर ही चोखो लागे!
३ घर री खांड किरकिरी लागे ,
गुड़ चोरी रो मीठो!
४ जीम्यां पाच्छै छूटे पाँवणा
मरयां छूटे ब्याज!
५ कोई मन मन में बले
कोई गुलगुला तले!
रतन जैन , पड़िहारा

वंस देयर वाज ऐ कागला!
वंस देयर वाज ऐ कागला

सित्टिंग ओन ऐ डागला

वन डे का है किस्सा

ही वाज वैरी तीसा!

ही सा ऐ मटका

सम कांकरा पटका!

ऐ लिटिल वाटर गटका

देन फ़टाफ़ट सटका!

रतन जैन

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