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Sunday, February 14, 2010

फागण

मैंदी री लाली चुरा ल्यायो फागण

हिवडे रा तार झंझणा आयो फागण

जिनगानी में रस घोळ रैयो फागण

पनघट चोपाल टंटोलआयो फागण!

चंगा में डूब रैया संगी साथिडा

भांग सांसां में घोळ रैयो फागण!

प्रीत री डोर उल्झाय रैयो फागण

हंसी मज़ाक ठिठोल ल्यायो फागण!

रतन जैन

आज री बात

बैठ णों छाया मै हुवे चाये केर ही ,

रह णों भाया में हुवे चाये बैर ही!

रतन जैन

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