बापू-बडिया, मायड़-वीरा ,ओल्युं सुलगी पीवर री
पण पिव रै घर प्यारो लागे, धुन्ध्लो दर्पण अ र धुवों .....
पूरी कविता हेतु लोग ओन करो सा :
http://www.lahriyo.blogspot.com/
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