HEADLINES-

Tuesday, July 21, 2009

लहरियों

उधार मांगबा राजू आयो , घंणों नब्यो अ र घणो लू ल्यों

पाछा मंग्या ता म्हे देख्यो ठ्न्यो ठ्न्यो सो जय श्रीराम !

आगे लेरे चाराँ कानी है दुखडा रो घेरो

मनमोहन रे राज रो माडो पग्फेरो!

माडो पगाफेरो, कीमतां कमर तोड़ दी

बिजली पाणी दूर, साँस री आस छोड़ दी!

पूरी कविता व अन्य मजेदार मसाला पढिये :

लहरियों.ब्लागस्पाट.कॉम www.lahrio.blogspot.com :www.marwaridigest.blogspot.com