उधार मांगबा राजू आयो , घंणों नब्यो अ र घणो लू ल्यों
पाछा मंग्या ता म्हे देख्यो ठ्न्यो ठ्न्यो सो जय श्रीराम !
आगे लेरे चाराँ कानी है दुखडा रो घेरो
मनमोहन रे राज रो माडो पग्फेरो!
माडो पगाफेरो, कीमतां कमर तोड़ दी
बिजली पाणी दूर, साँस री आस छोड़ दी!
पूरी कविता व अन्य मजेदार मसाला पढिये :
लहरियों.ब्लागस्पाट.कॉम www.lahrio.blogspot.com :www.marwaridigest.blogspot.com
1 comment:
bahut hi sundar
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