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Wednesday, May 26, 2010

पाखी

सांझ सकारे आवे पाखी
चीर कालजो जावै पाखी!
चारूकानी जाळ बिछ्या है
कियां बापड़ा आवै पाखी!
मिलै जठै भी चुग्गो पाणी
चहक-चहक बतियावे पाखी!
आपां आंरी पाँख चुरावां
कनै जादै भी आवे पाखी!
मिलै चुग्गो,चैन, ठिकानों
गीत बठै ही गावै पाखी!
अतुल जैन

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