आज रो मौसम नसीलो देख्ल्यो
होग्यो आकाश गीलो ,देख्ल्यो!
थारां हाथां भी मेहंदी के राची
सज उठ्यो सावन सजीलो, देख्ल्यो!
झीणे झी णे घूँघट स्यूं झांकतो
चाँद सो मुखड़ो लजीलो,देख्ल्यो!
अतुल जैन
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