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Monday, May 24, 2010

जन्वाईजी

भलाई पधारया घर पावणा जी राज

घणी मनुवार थांरी करस्यां म्हे आज।

म्हारी लाडेसर बाई रा थे हो भरतार,

पलकां बिछावाँ थांरे गेलान में आज।

बैठोजी जवाईजीथे खेजड्ले री छाँव ,

दूध स्यूं धुलावान थांरा नाजुक नाजुक पाँव।

पियोजी जन्वाईजी थाने ठंडाई रो चाव

बोलो तो फलां रो रस देवान म्हे काढाय

भ्रमर राजस्थानी

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