भलाई पधारया घर पावणा जी राज
घणी मनुवार थांरी करस्यां म्हे आज।
म्हारी लाडेसर बाई रा थे हो भरतार,
पलकां बिछावाँ थांरे गेलान में आज।
बैठोजी जवाईजीथे खेजड्ले री छाँव ,
दूध स्यूं धुलावान थांरा नाजुक नाजुक पाँव।
पियोजी जन्वाईजी थाने ठंडाई रो चाव
बोलो तो फलां रो रस देवान म्हे काढाय
भ्रमर राजस्थानी ।
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