जिसने तुम्हे पुकारा
तूने दिया सहारा,
उस देश के नयन में
तेरा सपन रहेगा ।
कण-कण में लिखी है
तेरी अमर कहानी,
कारगिल महक रहा है
बन फूल की निशानी।
माला न टूट पाए
हर और तूं जूडा था।
गोली जहां गिरी थी
उस और तूं मुड़ा था।
तू मिट नहीं सकेगा
जब तक गगन रहेगा।
रतन जैन
Thursday, August 18, 2011
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